भावों का प्रदर्शन है नृत्य तो उन्हें शब्द देना है कविता
रस और भाव की अभिव्यंजना से युक्त होता है- नृत्य। रस और भाव…जैसे यह तो हर कला की विशेषता है.. फिर वह नृत्य हो, संगीत
रस और भाव की अभिव्यंजना से युक्त होता है- नृत्य। रस और भाव…जैसे यह तो हर कला की विशेषता है.. फिर वह नृत्य हो, संगीत
‘मुरली की धुन सुन आई राधे’….यह उस कवित्त के बोल है, जिसे कथक सीखने के प्रारंभिक वर्षों में सीखा था…कवित्त अर्थात् कविता के बोलों को