जीवन कुछ और नहीं, बल्कि नर्तन है!
पाषाण युग में मनुष्य ने बोलना नहीं सीखा था.. यह तो सभी जानते हैं। तब गुफाओं पर चित्र उकेर कर वह अपनी बात कहता था..
पाषाण युग में मनुष्य ने बोलना नहीं सीखा था.. यह तो सभी जानते हैं। तब गुफाओं पर चित्र उकेर कर वह अपनी बात कहता था..