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चक्रधर समारोह 2024: आलोचनाओं के घेरे में कला और कलाकारों का सम्मान

चक्रधर समारोह, भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत की एक विशिष्ट परंपरा का प्रतीक है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महान शासक राजा चक्रधर सिंह की स्मृति में आयोजित किया जाता है। राजा चक्रधर स्वयं एक अद्वितीय शास्त्रीय कला प्रेमी और संरक्षक थे। उन्होंने शास्त्रीय कला और कलाकारों को अपना संरक्षण दिया था, जिससे उनके शासनकाल में कई प्रतिष्ठित कलाकारों को बढ़ावा मिला। इस समारोह का आयोजन उनकी इस कला प्रेम भावना को समर्पित है, और इस महोत्सव ने पिछले कई वर्षों से न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक खास पहचान बनाई है। हालांकि, इस वर्ष के चक्रधर समारोह 2024 ने कलाकार समुदाय में काफी असंतोष और आलोचनाओं को जन्म दिया है। इसका मुख्य कारण है महोत्सव के लिए किए गए कलाकारों के चयन पर उठाए जा रहे सवाल।

चयन प्रक्रिया पर उठते सवाल

इस वर्ष के आयोजन की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि इसमें ऐसे कलाकारों का चयन किया गया जो शास्त्रीय नृत्य में अपनी गहरी पकड़ नहीं रखते या जिनका इस कला क्षेत्र में योगदान बहुत सीमित है। सूत्रों के अनुसार, पूरी चयन प्रक्रिया पर नौकरशाही का प्रभुत्व था, जिनकी कला और कलाकारों के प्रति समझ पर प्रश्नचिन्ह हैं। चयन समिति के सूत्र बताते हैं कि समिति की सलाह को बड़े स्तर पर नजरअंदाज किया गया और महोत्सव में लोकप्रिय चेहरे, जो फिल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं, को शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन के लिए बुलाया गया।

शास्त्रीय कलाकारों की उपेक्षा

इस महोत्सव में कई प्रतिष्ठित और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शास्त्रीय नर्तकों को नजरअंदाज कर दिया गया जिनकी चयन समिति ने अनुशंसा की थी, जबकि फिल्मी सितारों को भारी मानधन देकर आमंत्रित किया गया। इन फिल्मी सितारों में से एक ने तो भरतनाट्यम की पोशाक पहन कर ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी, जिससे कला प्रेमियों में निराशा और आक्रोश उत्पन्न हुआ। इस प्रकार की घटनाएं महोत्सव की गंभीरता और प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

 

युवा कलाकारों के साथ अन्याय

महोत्सव के आयोजन में एक और गंभीर मुद्दा सामने आया है, वह है युवा और उभरते हुए शास्त्रीय कलाकारों को दिए गए सम्मान और मानदेय का। कई युवा कलाकारों, खासकर जो अन्य शहरों/राज्यों से आए थे, को समारोह की गरिमा का हवाला देते हुए नाममात्र मानदेय में लाइव संगतकारों के साथ प्रदर्शन करने के लिए बाध्य किया गया। यह मानदेय उनकी यात्रा और संगतकारों की लागत को पूरा करने में भी असमर्थ है। इसके विपरीत, बॉलीवुड के कलाकारों ने रिकार्डेड संगीत पर प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें कई गुना अधिक भुगतान किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार युवा कलाकारों के साथ समायोजन करने वाले कुछ प्रशासनिक स्टाफ का व्यव्हार भी उपेक्षाजनक रहा।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

इस आयोजन के संचालन में प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह समझना जरूरी है कि यदि इस महोत्सव को “अंतरराष्ट्रीय स्तर” का बनाना है, तो चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी होगी। कला की गरिमा और कलाकारों का सम्मान बनाए रखना ही महोत्सव की साख को बचाए रखने का एकमात्र तरीका है। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह समारोह केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा और जो शास्त्रीय नृत्य और कलाकारों को मंच प्रदान की मूल भावना पर कुठाराघात होगा।

समारोह की सफलता को बड़ी भीड़ की उपस्थिति के आधार पर मापा जा रहा है, जबकि इसके मूल उद्देश्य – गुणवत्तापूर्ण कला प्रदर्शन – पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। राजा चक्रधर, जिन्होंने जीवनभर शास्त्रीय कला की सेवा की और उसे बढ़ावा दिया, उनकी स्मृति में होने वाले इस महोत्सव का मापदंड सिर्फ बड़ी भीड़ होना उनके आदर्शों के साथ न्याय नहीं करता। यह महोत्सव तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कला की गुणवत्ता और शास्त्रीय कलाकारों को उचित सम्मान न मिले।

चक्रधर समारोह 2024 की यह स्थिति एक गहरी चर्चा की मांग करती है। यह समय है कि महोत्सव के आयोजक, प्रशासन, सरकार और गणमान्य कलाकार एक साथ बैठकर इन मुद्दों पर विचार करें और आने वाले वर्षों में इस महोत्सव को उसकी पुरानी गरिमा और प्रतिष्ठा वापस दिलाने के लिए सार्थक कदम उठाएं।

चक्रधर समारोह जैसे प्रतिष्ठित महोत्सव का उद्देश्य शास्त्रीय नृत्य और संगीत की विरासत को आगे बढ़ाना है। ऐसे में चयन प्रक्रिया और कलाकारों के प्रति दिखाए गए इस प्रकार के व्यवहार से न केवल कला का अपमान होता है, बल्कि युवा और समर्पित कलाकारों का मनोबल भी टूटता है। महोत्सव की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रशासन को अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना होगा और कला के विशेषज्ञों की सलाह को प्राथमिकता देनी होगी। केवल तभी इस महोत्सव को वह सम्मान और प्रतिष्ठा मिल पाएगी जिसका वह हकदार है।

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