सब तक संगीत की रस धार पहुँचे, सब हो जाएँ पार
‘खुसरो दरिया प्रेम का, जो उलटी वाकी धार, जो उभरा सो डूबा, जो डूबा सो पार ’… अमीर खुसरो जो स्वयं बड़े संगीतज्ञ भी थे,
‘खुसरो दरिया प्रेम का, जो उलटी वाकी धार, जो उभरा सो डूबा, जो डूबा सो पार ’… अमीर खुसरो जो स्वयं बड़े संगीतज्ञ भी थे,
सांगितिक आभा मंडल के दैदिप्यमान ओज से वे दमकती रहती थी जितनी लरजती गरजती उनकी आवाज उतना ही मीठा उनका बोलना… शब्दों का चयन भी