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गुरू-शिष्य पद्धति एवं संस्थागत शिक्षण पद्धति: एक तुलनात्मक अध्ययन

संगीत के क्षेत्र में जहाँ गुरु-शिष्य पद्धति का महत्व सदा ही रहा है, वहीं आधुनिक समय में विश्वविद्यालयीन उपाधियों का महत्व नकारा नहीं जा सकता।

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राजस्थान से ही है ध्रुवपद की चारों वाणियों का संबंध

प्रथम से पांचवी सदी तक भारतीय संगीत नृत्य कला परंपरा का व्यापक विस्तार हुआ तथा यह कलाएं भारत में एशिया तक पहुंची अनेक संस्कृतियों, अनेक

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तेजी-तैयारी-चक्कर… क्या इसी का नाम कथक है?

एक अजीब-सी बात हुई.. बीते दिनों बहुत-से नृत्य आयोजनों में जाने का अवसर मिला और कई प्रस्तुतियों को देखा..सबको देखते हुए अजीब-सी बेचैनी पैदा होती

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Arangetrams and Beyond

In the last 20 years, the practice of teaching Indian classical dance (particularly to Indian-American children) has sprouted and become immensely popular among the diaspora.

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