यह अपने आप में अनुठा कार्यक्रम था जिसमें शिष्यों ने अपने गुरु डॉ. रमेश तागड़े का अमृत महोत्सव मनाया और उनके जीवन पर आधारित फिल्म माय जर्नी: इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ डॉ. रमेश तागड़े का प्रदर्शन किया गया। सहज सरल व्यक्तित्व के धनी डॉ. रमेश तागड़े का इस अवसर पर सम्मान भी किया गया।
इंदौर के संतोष सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। उसके पश्चात् हर्षिता लोढ़ा ने राग छायानट की प्रस्तुति दी। शाहिन परवेज ने डॉ. रमेश तागड़े द्वारा विकसित नए वाद्य रमोलिन पर राग झिंझोटी की प्रस्तुति दी।
डॉ. रमेश तागड़े के शिष्यों अतुल शास्त्री, प्रवीण कावळे, कुश उपाध्याय, आराध्य तागड़े, लीना पुंडलिक, सुषमा नंदी, सजल आदि ने एकसाथ वायलिन पर राग हंसध्वनी की प्रस्तुति दी जो की काफी सुंदर बन पड़ी। इसके पश्चात फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसके पूर्व फिल्म के निर्देशक राज बेंद्रे ने बताया कि डॉ तागड़े के जीवन पर फिल्म बनाना सही मायने में जीवन के सबसे अच्छे अनुभवों में से एक रहा। बतौर संगीतज्ञ वे श्रेष्ठ तो है ही परंतु उनके संपर्क में जो भी रहा उन्होंने सभी को अपने ओज से प्रभावित किया। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में रहकर संगीत की सेवा करने के साथ साथ उन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया और फिल्म में हमनें यही बताने का प्रयास किया गया।
फिल्म को बेहद सराहा गया
माय जर्नी: इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ डॉ. रमेश तागड़े को आमंत्रित दर्शको ने बेहद सराहा। खासतौर पर राज बेंद्रे का निर्देशन और शक्ति की सिनेमेटोग्राफी बेहद पसंद की गई। फिल्म को इंदौर, महेश्वर सहित कई अन्य जगहो पर फिल्माया गया है। फिल्म को अगले कुछ दिनों में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवलों में भी भेजा जाना है। फिल्म में डॉ.रमेश तागडे के संघर्ष की कहानी भी है साथ ही उनके संगीत के प्रति योगदान को भी बताया गया है। फिल्म आम व्यक्ति को भी प्रभावित करती है कि किस तरह तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी डॉ. तागड़े ने अपनी संगीत यात्रा को जारी रखा और अब भी वे बच्चों से लेकर युवा एवं बुजुर्ग शिष्यों को लगातार संगीत की शिक्षा दे रहे है।
डॉ.रमेश तागड़े का सम्मान
शिष्यों द्वारा डॉ तागड़े का सम्मान किया गया और सप्तक सुमिरन सम्मान पत्र दिया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आए डॉ.रमेश तागड़े के शिष्यों ने उनका सम्मान किया। सम्मान पत्र का वाचन अंतरा करवड़े ने किया।
तागड़े सर की क्लास
कार्यक्रम के उत्तरार्ध में मंच पर तागड़े सर की क्लास लगी जिसमें स्वयं डॉ.रमेश तागड़े ने सहज सरल विधि से किस प्रकार से स्वर ज्ञान हो सकता है इसे सिखाया। खास बात यह रही की आमंत्रित दर्शकों ने भी इसमें भाग लिया। बिहाग और राग केदार में निबद्ध बंदिशो को शिष्यों ने प्रस्तुत किया।
संचालन राज बेंद्रे, पल्लवी बेंद्रे, आराध्य तागड़े व मुद्रा बेंद्रे ने किया।