अनुराग तागड़े, इंदौर

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दु:ख की गहराई से भी रुठे सुरों को मना लेंगे…

दर्द की पराकाष्ठा सुरों की मिठास छोड़ क्या सुर ही गले से छीन लेती है। दु:खों के पहाड तले किसी गायक के गले के सुर...

शास्त्रीय संगीत : शास्त्रीयता को दायरे में न बांधे…

शास्त्र को संदर्भ के रुप में ही देखने की आदत हमें डाली गई है पता नहीं क्या कारण है पर शास्त्र याने बड़ी पोथियों को...

संगीत अवचेतन मन को भी तृप्त करता है

सांगीतिक समझ के साथ संगीत सुनना किसी कलाकार या संगीत के जानकार ही कर सकते है पर क्या कारण है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत से...

स्मृति शेष पद्मविभुषण गिरिजा देवी…

सांगितिक आभा मंडल के दैदिप्यमान ओज से वे दमकती रहती थी जितनी लरजती गरजती उनकी आवाज उतना ही मीठा उनका बोलना… शब्दों का चयन भी...
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