लखनऊ स्थित स्वर्ण हंस नृत्य कला मंदिर की ओर से शिक्षा प्राप्त कर चुके शिष्यों के अरंगेद्रम रंगमंच पर प्रवेश का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें शिष्यों ने पुष्पांजलि को अलारिपु के साथ प्रस्तुति दी। वहीं राग नाट्टाई और त्रिस ताल पर भी मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मभूषण गुरु डॉ.सरोजा वैद्यनाथन मौजूद रहीं।
स्वर्ण हंस कला मंदिर में भरतनाट्यम नृत्य गुरु कलाक्षी सैयद शमशुर रहमान द्वारा शिक्षा प्राप्त किये शिष्यों ने रंगमंच पर प्रवेश किया।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति ताल पर निबंधु और दूसरी प्रस्तुति राग तोड़ी पर आधारित जतिस्वरम पर दी गई जिसमें जति एवं स्वरम के चारों कलाकार अश्विनी श्रीवास्तव, अभिलाषा सिंह, पंकज पांडेय और अदित्री श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया।
तीसरी एकल प्रस्तुति अश्विनी श्रीवास्तव ने दी। वहीं चारों कलाकारों ने भरतनाट्यम नृत्य की सबसे महत्वपूर्ण चरण वर्णम प्रस्तुत किया। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, कालिया मर्दन, माखन चोरी, राधा कृष्ण रास, रुकमणी विवाह प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति राग मलिका एवं आदिताल पर निबुंध थी।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में देवी स्तुति रही जिसमें अदित्री श्रीवास्तव ने दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन किया। इसमें सलामुरे और प्रस्तुति राग क्षी एवं एक ताल पर निबुंध था। इसके बाद नटराज शिव को नर्तक के रूप में नृत्य करते दिये दिखाया गया। वहीं नृत्य के बोल पंकज पांडेय के रहे। भगवान कृष्ण की परम भक्त मीराबाई की रचना मुझे चाकर राखो जी पर दी।
संगतकर्ताओं में नट्टूवांगम पर गुरु कालाक्षी सैयद शमशुर रहमान, गायन पर सुधा रगुरमन, मृदंगम पर केशवर एवं वायलिन पर चेमबई आर निवास रहे।
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