भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित तानसेन संगीत समारोह ग्वालियर में 24 से 29 दिसम्बर तक आयोजित होगा। समारोह में देश एवं विदेश से आ रहे ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के लिये उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी व मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित इस साल के तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों की सूची जारी कर दी गई है।
इस बार के समारोह में कुल 9 संगीत सभायें होंगी। पहली 7 संगीत सभायें सुर सम्राट तानसेन की समाधि एवं मोहम्मद गौस के मकबरा परिसर में भव्य एवं आकर्षक मंच पर सजेंगीं।
समारोह की आठवीं एवं प्रात:कालीन सभा सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे सजेगी। किला परिसर स्थित गूजरी महल के समीप समारोह की नौवीं एवं आखिरी संक्षिप्त संगीत सभा 29 दिसम्बर को सायंकाल आयोजित होगी। मालूम हो शास्त्रीय संगीत के महान पोषक राजा मानसिंह तोमर की प्रेयसी मृगनयनी गूजरी महल में ही सुर सम्राट तानसेन से संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त करती थीं। इसी बात को ध्यान में रखकर गूजरी महल परिसर में समारोह की अंतिम संगीत सभा आयोजित की जा रही है। तानसेन समारोह की प्रात:कालीन संगीत सभाएं प्रात: 10 बजे और सायंकालीन सभाएं सायंकाल 7 बजे शुरू होंगीं।
“गमक” में इस बार सुविख्यात गज़ल गायक हुसैन बन्धुओं की प्रस्तुति
तानसेन संगीत समारोह की पूर्व संध्या यानि 24 दिसम्बर को सायंकाल 7 बजे हजीरा चौराहे के समीप स्थित इंटक मैदान में उप शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम पूर्वरंग “गमक” होगा। गमक में सुविख्यात सूफियाना गज़ल गायक बन्धु उस्ताद अहमद हुसैन – मोहम्मद हुसैन की प्रस्तुति होगी। हुसैन बन्धु जयपुर के ऐसे गजल गायक हैं, जिन्होंने गजल गायकी में शास्त्रीयता पर आधारित एक बिल्कुल नई विधा पेश की है। ये दोनों उस्ताद भारतीय शास्त्रीय संगीत में पारंगत हैं और गजल गायकी की दुनिया में अद्वितीय हैं। हुसैन बन्धुओं द्वारा गायी गई फिल्म वीर-जारा की कब्बाली ने काफी प्रसिद्धि प्राप्त की थी।
इस बार भी विश्व संगीत की प्रस्तुतियाँ होंगी आकर्षण का केन्द्र
इस बार के संगीत समारोह में भी गत वर्ष की भाँति विश्व संगीत को भी शामिल किया गया है। समारोह में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विदेशी संगीत साधक प्रस्तुतियाँ देंगे। इनमें ईरान, आर्मीनिया व जर्मनी आदि देशों के स्थापित कलाकार शामिल हैं।
प्रथम सभा 25 दिसम्बर (सायंकाल) – तानसेन समाधि स्थल
तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार की प्रस्तुति होगी। इस सभा में श्री ऋत्विक सान्याल का ध्रुपद गयान व श्री रीतेश रजनीश मिश्र का गायन होगा। सभा का शुभारंभ शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा।
द्वितीय सभा (प्रात:काल) – 26 दिसम्बर
श्री यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन, श्री विपुल कुमार राय का संतूर वादन, श्री निर्भय सक्सेना का गायन एवं श्री दीपक क्षीरसागर का मोहनवीणा वादन होगा। इस सभा का शुभारंभ शंकर गांधर्व संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा।
तृतीय सभा (सायंकाल) – 26 दिसम्बर
विश्व संगीत के तहत श्री बेहदाद बाबई एवं श्री अर्देशिर कामकार ईरान की सहतार – कमांचे की जुगलबंदी, सुश्री वैशाली देशमुख का गायन, उस्ताद फारूख लतीफ खाँ का सारंगी वादन व सुश्री रूचिरा काले केदार का गायन होगा । इस सभा का आरंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा।
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चतुर्थ सभा (प्रात:काल) – 27 दिसम्बर
श्री कैलाश पवार का ध्रुपद गायन, श्री संतोष नाहर का वायोलिन वादन, सुश्री मधुमिता नकवी का गायन एवं विश्व संगीत के तहत श्री सारंग सैफीजादा एण्ड ग्रुप ईरान का संतूर, कमांचे व टुम्बक वादन। इस सभा के आरंभ में तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर की ध्रुपद प्रस्तुति होगी।
पाँचवी सभा (सायंकाल) – 27 दिसम्बर
विश्व संगीत के तहत श्री अर्सेन पेट्रोजियान आर्मीनिया की प्रस्तुति, श्री मोवना रामचंद्र का गायन, सुश्री कमला शंकर का गिटार वादन व श्री राम देशपाण्डे के गायन की प्रस्तुति होगी। इस सभा की शुरूआत भारतीय संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगी।
छठवीं संगीत सभा (प्रात:काल) – 28 दिसम्बर
श्री गौतम काले का गायन, श्री सौरवव्रत चक्रवर्ती की सुर बहार, सुश्री ज्योति फगरे अय्यर का गायन तथा उस्ताद निसार हुसैन खाँ एवं श्री दयानेश्वर देशमुख की तबला – पखावज जुगलबंदी होगी। सभा की शुरूआत सारदा नाथ मंदिर संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगी।
सातवीं सभा (सायंकाल) – 28 दिसम्बर
विश्व संगीत के तहत जर्मनी के श्री निल्गम अक्सॉय की प्रस्तुति, सुश्री कशिश मित्तल का गायन, उस्ताद निसार खाँ का सितार वादन व श्री अजय प्रसन्ना का बाँसुरी वादन होगा। इस सभा का शुभारंभ ध्रुपद केन्द्र के ध्रुपद गायन से होगा।
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आठवीं सभा (प्रात:काल) – 29 दिसम्बर – बेहट
उस्ताद सलमान खाँ का सारंगी वादन, श्री के. दामोदर राव का गायन, श्री समित कुमार मलिक का ध्रुपद गायन, श्री हितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का तबला वादन तथा सुश्री संध्या तिवारी बापट की स्वर श्रृंगार संगीत संस्था का वृंद वादन होगा। सभा के प्रारंभ में तानसेन स्मारक केन्द्र बेहट एवं महारूद्र मण्डल संगीत महाविद्यालय ग्वालियर का ध्रुपद गायन होगा।
नौवीं एवं अंतिम संगीत सभा (सायंकाल) – 29 दिसम्बर – गूजरी महल
विश्व संगीत के तहत उस्ताद अना तनवीर यू.के. का हार्प वादन, सुश्री भारती सिंह राजपूत का गायन, सुश्री वर्षा अग्रवाल का संतूर वादन तथा सुश्री शुभ्रा गुहा का गायन होगा । सभा की शुरूआत ध्रुपद केन्द्र एवं संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगी।
हरिकथा व मीलाद गायन से होगा शुभारंभ
गान महर्षि तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले “तानसेन समारोह” के अपने अलग ही रंग हैं । समारोह के शुभारंभ दिवस को प्रात: काल में तानसेन की समाधि पर सामाजिक समरसता के सजीव दर्शन होते हैं । इस बार भी 25 दिसम्बर को प्रात: काल पारंपरिक रूप से हरिकथा व मीलाद के गायन के साथ “तानसेन समारोह” का पारंपरिक शुभारंभ होगा।
थाती – प्रदर्शनी लगेंगीं
तानसेन समारोह पर केन्द्रित कलात्मक छायाचित्रों की प्रदर्शनी भी पूर्व वर्षों की भाँति मुख्य समारोह स्थल पर लगाई जायेंगी। थाती प्रदर्शनी में पूर्वजों से प्राप्त सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया जायेगा।
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वादी-संवादी में होंगे व्याख्यान
तानसेन समारोह की संगीत सभाओं के साथ-साथ एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि “वादी-संवादी” का भी इस साल आयोजन होगा। इस आयोजन में संगीत रसिकों के विचारों से संगीत प्रेमी रूबरू होते हैं। इस साल 27 दिसम्बर को स्व. बेगम अख्तर पर सुश्री विद्या शाह व्याख्यान देंगीं। इसी तरह 28 दिसम्बर को वायोलिन गाथा पर सुश्री अनुप्रिया देवताले का सोदाहरण व्याख्यान होगा। यह कार्यक्रम पड़ाव स्थित तानसेन कलावीथिका में आयोजित होगा।