हम भारतीय है और हमें भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में जानकारी होना जरुरी है… पर सच क्या है बिलकुल कड़वा है…
आम भारतीय अपने संगीत से कोसो दूर है। उसे पता नहीं है कि शास्त्रीय संगीत क्या है, क्यों, कैसे गाया जाता है और खासतौर पर इसका शास्त्रीय पक्ष इतना मजबूत कैसे है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महफिलों में भी देखा जाए तब एक जैसे दर्शक रहते है जो बरसो बरस बदलते नहीं है और नए दर्शक जुड़ने का सिलसिला काफी धीमा है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में आम जन को प्रभावित करने की भरपूर क्षमता है परंतु ऐसा क्या किया जाए ताकि वह लोकप्रिय हो।
भारतीय शास्त्रीय संगीत कठिन है, इस भ्रम को तोड़ना
वर्षों की मेहनत के बाद कलाकार बनता है यह बात सत्य है पर इसका मतलब यह नहीं है कि अगर कोई युवा करियर के साथ साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखना चाहता है तब वह नहीं सीख सकता। दरअसल भारतीय शास्त्रीय संगीत आसान है कोई भी सीख सकता है यह बात आम जनता तक पहुंचाना होगी और यह दायित्व स्थापित कलाकारों का ही है। जब भी महफिल में जाए चाहे वे मंच पर हो या दर्शको के बीच वे इस बात को बढ़ावा दे खासतौर पर युवाओं में की भारतीय शास्त्रीय संगीत बस कुछ नियमों में बंधा है बाकी सामान्य ही तो है। जब तक इस भ्रम को नहीं निकाला जाता तब तक वे युवा जो दर्शक बनकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों में आते है आगे सीखने के लिए प्रेरित नहीं होंगे। युवा वर्ग एक समय तक आकर्षित होता है परंतु बाद में वह दूर हो जाता है क्योंकि वह भारतीय शास्त्रीय संगीत की शास्त्रीयता से डर जाता है। वह शास्त्रीयता जिसके बारे में बेवजह डर पैदा किया जाता है।
शास्त्रीय संगीत सिखाने का तरीका भी बदलना होगा
भारतीय शास्त्रीय संगीत के कलाकार गुरु शिष्य परंपरा से संगीत सिखाने का प्रयत्न करते है और वही सही तरीका भी है परंतु आधुनिक युग में शास्त्रीय संगीत इंटरनेट पर भी सीखा जा रहा है और बड़ी संख्या में युवा साथी संगीत को ऑनलाइन सीख रहे है भारतीय शास्त्रीय संगीत भी इससे अछूता नहीं है। सिखाते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि स्मार्ट रियाज कैसे की जाए… इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। शिष्यों को लगातार भारतीय शास्त्रीय संगीत से जोड़े रखने के लिए उन्हें तथ्यपरक जानकारी भी देना जरुरी है। जमाना जानकारियों का है इस कारण लगातार भारतीय शास्त्रीय संगीत से वे कैसे जुड़े रहे इसका प्रयत्न करना होगा।
यह अपना संगीत है और इसके कई फायदे है
आम लोगो से भारतीय शास्त्रीय संगीत को जोड़ने के लिए हमें अपने इतिहास को टटोलना होगा और संगीत और हमारी संस्कृति के मेल को आम जनता के सामने लाना होगा। आज के युवाओं और बच्चों को इस संबंध में बताना होगा।
स्कूलों में भारतीय शास्त्रीय संगीत की परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए और फिर चाहे सीबीएसई बोर्ड हो या फिर राज्य बोर्ड इन्हें गंधर्व,प्रयाग जैसी संस्थाओं से जोड़ा जाना चाहिए। बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में जानकारी दी जाए और संगीत का व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाए। अगर बच्चों को कक्षा बारहवी कक्षा पास करने के साथ साथ संगीत का डिप्लोमा भी मिल जाए तब कितनी अच्छी बात होगी। बारहवीं कक्षा तक हमें यह भी पता चल जाएगा कि कौन सा बच्चा संगीत के क्षेत्र में अच्छा कर सकता है ।
कलाकार मंच से भी कहे अपनी बात
शास्त्रीय संगीत के जितने भी कलाकार है यह उनको भी सोचना चाहिए कि अगर वे मंच से अपनी प्रस्तुति दे रहे है तब साथ ही वे जिम्मेदारीपूर्वक यह भी बताएं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत सुनने में जितना मधुर है सीखने में भी वैसा ही है। अगर यह कहने गए कि इसमें वर्षों तक मेहनत करने के बाद भी थोड़ा बहुत ही हासिल हो पाता है तब जो युवा इसमें करियर बनाने की सोच रहा है वह दूर हो जाएगा। जब तक आम जनता में भारतीय शास्त्रीय संगीत सहज और सरल है यह बात घर नहीं कर जाती तब तक भारतीय शास्त्रीय संगीत आमजनो तक नहीं पहुंच सकता।
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संगीत की बैठकों में संगीत को जीवनचर्या से जोड़ के बताएं
संगीत की बैठकों में सांगितिक प्रस्तुतियों के अलावा संगीत और अध्यात्म,योग,स्वास्थ्य को लेकर भी बातें हो और इससे संबंधित प्रदर्शनी भी लगा सकते है। एक कलाकार का यह धर्म भी बनता है कि वह अपनी कला के साथ साथ संपूर्ण शास्त्रीय संगीत को आगे बढ़ाएं ताकि नए दर्शक बने और नए कलाकार गढ़ने के लिए युवा भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए आगे आए।