कथक देखा जाए तो एकल नृत्य प्रकार है लेकिन अब कोरियोग्राफी, प्रकाश योजना, ध्वनि, नेपथ्य आदि के जंजाल में जैसे मूल आत्मा से दूर चला गया है। कथक को उसकी आत्मा तक ले जाने के लिए पूरे तन-मन-धन से नासिक की एक नृत्यांगना जुटी है। अपने गुरू को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए वे बीते 25 सालों से नासिक में हर साल गुरु की याद में तीन दिवसीय नृत्योत्सव का आयोजन करते हैं और इस बार तो पूरे साल उन्होंने नृत्यानुष्ठान करने का मानस बनाया और उसे सुफल भी किया। नासिक वालों के कदम भी हर महीने के दूसरे रविवार शाम 6.30 बजे परशुराम साईंखेडकर नाट्यगृह की ओर चलने लगे। वर्तमान युग की प्रसिद्ध कथक नृत्य कलाकार रेखा नाडगौडा के साथ अश्विनी कालेस्कर और अदिती पानसे ने 25 गुरुओं के 25 शिष्यों को एकल नृत्य प्रस्तुति के लिए बुलाया और श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
रेखा नाडगौडा बताती हैं, “हमारी संस्था कीर्ति कला मंदिर हर साल नासिक में नटराज पं. गोपीकृष्ण जयंती नृत्य महोत्सव का आयोजन करती हैं। गुरु नटराज गोपीकृष्ण के 17 फरवरी 1994 निधन के बाद से हर साल अगस्त में तीन दिवसीय आयोजन कर रहे हैं। नृत्य देखना भी नृत्य सीखने जैसा है इसे रेखांकित करते हुए जयंती उत्सव के रजत वर्ष 2017-18 में पूरे साल कथक के आयोजन तय किए। नृत्य करने वाले इस मेहनत निरंतरता और जिद को समझ सकें, एकल नृत्य शैली की समझ विकसित हो इस उद्देश्य को सामने रख प्रचलित तीन ताल को न लेते हुए प्रस्तुति देने वालों से अप्रचलित तालों में प्रस्तुति देने का आग्रह किया।”
इसके चलते प्रचलित 16 मात्रा के तीन ताल के अलावा 9 मात्रा,10 मात्रा, 11 मात्रा, 12-13-14 और 18 मात्राओं के ताल में नई वंदनाएँ, भाव प्रस्तुति में गतभाव, भजन, ठुमरी, बंदिश में होरी, ध्रुपद, अनवट रचना, दशावतार, अष्टनायिका आदि का आनंद दर्शकों ने उठाया। कथक नृत्य का वाद्य वृंद बहुत सीमित होता है। इसमें तबला, पखावज एवं सारंगी का प्रमुख स्थान है। आयोजकों ने प्रस्तुति देने वाले कलाकारों से आग्रह किया कि वे रिकार्डेड संगीत पर प्रस्तुति न देते हुए संगतकारों को साथ लेकर आए। इससे हर बार कथक के साथ तबले पर नई संगत और नई लकब का परिचय भी हुआ।
गुरु की याद में रेखा कहती हैं- “जब मैंने उनसे कहा था कि मुझे शमा ताई भाटे जी से नृत्य सीखना है, तो वे नाराज़ नहीं हुए थे। एक गुरु दूसरे गुरु की कद्र करना जानता है। उनकी इस बात को पल्लू से बाँध मैंने भी पूरे साल हर घराने की विशेषता के अलग-अलग गुरुओं के 25 शिष्यों को मंच दिया। अपनी मौसी सितारा देवी से कथक सीखने वाले गोपीकृष्ण 17 साल की आयु में ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सर्वाधिक युवा नृत्य निर्देशक बन गए थे। मधुबाला को ‘साकी’ फिल्म में नृत्य सिखाते हुए वे फिल्मी दुनिया के सफ़र को आगे ले गए। ‘दास्तान’, ‘महबूबा’, ‘उमराव जान’, ‘नाचे मयूरी’ में उनकी कोरियोग्राफी देखी जा सकती है। उनके अभिनय से ‘झनक झनक पायल बाजे’ ने अलग ही इतिहास रचा है। तब भी उन्होंने कथक को कथक ही रहने दिया, मिक्स नहीं किया और हम भी यही कोशिश कर रहे हैं, इसलिए नृत्यानुष्ठान में एकल नृत्य पर ही जोर दिया गया।”
नटराज पंडित गोपीकृष्ण जयंती उत्सव के रजत वर्ष का आगाज़ 16 सितंबर 2017 की शाम गुरु शमा भाटे की शिष्या अमिरा पाटणकर और कीर्ति कला मंदिर की वरिष्ठ नृत्यांगना अदिती नाडगौडा पानसे की शिष्या अनुजा फडके की प्रस्तुतियों से हुआ।
दूसरा पुष्प पंडित रेखा नाडगौडा की शिष्या ऐश्वर्या पवार और गुरू मधुरिता सारंग के गंडाबंध शागिर्द नूतन पटवर्धन के कथक से अर्पित हुआ। तिस्र तीन ताल में उठान, ठाट, आमद, पेशकार, कायदा, परन, गत, चक्करदार परन, कवित्त की प्रस्तुति दी। ख़ास बात यह थी कि सारी रचनाएँ पंजाब घराने और उस्ताद अल्ला रक्खाँ खाँ साहब द्वारा रचित थी। ऐश्वर्या ने नवदुर्गा के विभिन्न रूपों को साकार करती देवी वंदना प्रस्तुत की।
तीसरा पुष्प तन्वी पालव और भक्ति देशपांडे ने अर्पित किया। गुरू लता बाकलकर की शिष्या तन्वी पालव ने दुर्गास्तुति के बाद 11 मात्रा के रुद्र ताल में परंपरागत ठाट, आमद, परन, चक्करदार परन, रेला प्रस्तुत किया। छठे आयोजन में पंडित नंदकिशोर कपोते की शिष्या नीलिमा हिरवे ने गणेश वंदना से प्रारंभ किया। उन्होंने 13 मात्रा के रास ताल में ठाट, आमद, परन, प्रिमेलू, ततकार आदि में परंपरागत बंदिशें प्रस्तुत की थीं। लखनऊ घराने के पंडित विजय शंकर की शिष्या शीला मेहता ने भी तब 13 मात्रा में प्रस्तुति दी। 11वां पुष्प गुरु पंडित मनीषा साठे की शिष्या मंजिरी कारुलकर और गुरु पंडित वास्वती मिश्रा की शिष्या संगीता चैटर्जी का कथक था।
इसी के साथ पंडिता शमा भाटे, रेखा नाडगौडा, अदिती पानसे, राजेंद्र गंगाणी, जयकिशन महाराज, मधुरिता सारंग, राजश्री शिर्के, रोशन दाते, विद्या देशपांडे, संजीवनी कुलकर्णी, मनीषा साठे, शांभवी दांडेकर, लता बाकलकर, रूपाली देसाई, मंजरी देव, कार्तिक राम, विजय शंकर, नंदकिशोर कपोते आदि गुरुओं की शिष्याओं अमिरा पाटणकर, अनुजा फडके, ऐश्वर्या पवार, मधुश्री वैद्य, शाश्वती सेन, शीला मेहता, अमृता परांजपे, सोनिया परचुरे, धनश्री नातू, दिशा देसाई आदि ने प्रस्तुतियाँ दीं।
Also read: Nrutyanushthan on Silver Jubilee of Natraj Pt. Gopikrishna Jayanti Mahotsav
3 thoughts on “एकल नृत्य प्रस्तुतियों का नृत्यानुष्ठान”
बधाइयां! आलेख से कला जगत का परिचय।
वाह! नृत्य देखना भी नृत्य सीखने जैसा है… जानकारी समृद्ध करता लेख।
जैसे नृत्य देखना नृत्य सीखने के समान है वैसे ही आपका लेख पढ़ना भी नृत्य सीखने के समान ही है। जानकारीप्रद लेख।