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स्वरांगी साने, पुणे
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पुणे की ओडिसी नृत्यांगना अब लंदन में फहरा रही है परचम
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय … जो वास्तव में ‘बस ! नाम ही काफी है’ का पर्याय। वहाँ यदि किसी नृत्यांगना को प्रस्तुति देने का अवसर मिल जाए...
आखिर होता क्या है ‘ता थे ई’ करना ?
संसार का एक नियम है-एक में दो, दो में एक। आप आश्चर्य करेंगे कि यह कैसा नियम, इस बारे में तो कुछ नहीं पता। दरअसल...
सब तक संगीत की रस धार पहुँचे, सब हो जाएँ पार
‘खुसरो दरिया प्रेम का, जो उलटी वाकी धार, जो उभरा सो डूबा, जो डूबा सो पार ’… अमीर खुसरो जो स्वयं बड़े संगीतज्ञ भी थे,...
‘चक्र घूमा’.. हर बार नए अर्थों के साथ
‘मुरली की धुन सुन आई राधे’….यह उस कवित्त के बोल है, जिसे कथक सीखने के प्रारंभिक वर्षों में सीखा था…कवित्त अर्थात् कविता के बोलों को...