तेजी-तैयारी-चक्कर… क्या इसी का नाम कथक है?
एक अजीब-सी बात हुई.. बीते दिनों बहुत-से नृत्य आयोजनों में जाने का अवसर मिला और कई प्रस्तुतियों को देखा..सबको देखते हुए अजीब-सी बेचैनी पैदा होती
एक अजीब-सी बात हुई.. बीते दिनों बहुत-से नृत्य आयोजनों में जाने का अवसर मिला और कई प्रस्तुतियों को देखा..सबको देखते हुए अजीब-सी बेचैनी पैदा होती
रस और भाव की अभिव्यंजना से युक्त होता है- नृत्य। रस और भाव…जैसे यह तो हर कला की विशेषता है.. फिर वह नृत्य हो, संगीत
‘मुरली की धुन सुन आई राधे’….यह उस कवित्त के बोल है, जिसे कथक सीखने के प्रारंभिक वर्षों में सीखा था…कवित्त अर्थात् कविता के बोलों को
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