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संगीत और नृत्य के क्षेत्र के आठ-आठ कलाकारों को उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ युवा पुरस्कार

कला प्रदर्शन के शीर्ष निकाय के रूप में संगीत, नृत्य और नाटक की राष्ट्रीय अकादमी, संगीत नाटक अकादमी को देखा जाता है। अकादमी की 26 जून, 2019 को गुवाहाटी, असम में आयोजित सामान्‍य परिषद की बैठक में उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खाँ युवा पुरस्‍कार, 2018 के लिए भारत के उन 32 (एक संयुक्‍त पुरस्‍कार सहित) कलाकारों का चयन किया है, जिन्‍होंने कला प्रदर्शन के अपने-अपने क्षेत्रों में युवा प्रतिभा के रूप पहचान बनाई है।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खाँ युवा पुरस्‍कार कला प्रदर्शन के विविध क्षेत्रों में उत्‍कृष्‍ट युवा  प्रतिभाओं की पहचान करने, उन्‍हें प्रोत्‍साहन देने और उन्‍हें जीवन में शीघ्र राष्‍ट्रीय मान्‍यता देने के उद्देश्‍य से 40 वर्ष से कम आयु के कलाकारों को प्रदान किया जाता है। इससे इन कलाकारों को अपने चुने हुए क्षेत्रों में अधिक प्रतिबद्धता और समर्पण से काम करने में मदद मिलती है। पुरस्‍कारों के लिए चुने गए कलाकारों के नाम इस प्रकार हैं – संगीत के क्षेत्र में 8 कलाकारों को ये पुरस्‍कार दिए जा रहे हैं- हिंदुस्तानी वोकल संगीत के लिए समीहान काशेलकर और रुचिरा केदार; हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (सितार) के लिए ध्रुव बेदी; हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (तबला) के लिए शुभ महाराज; कर्नाटक वोकल संगीत के लिए संदीप नारायण; कर्नाटक वाद्य संगीत (बांसुरी) के लिए जे.बी. श्रुति सागर; कर्नाटक वाद्य संगीत (वायलिन)  के लिए आर. श्रीधर और संगीत की अन्य प्रमुख परंपराओं- भाव संगीत के लिए एम.डी. पल्‍लवी।

नृत्‍य के क्षेत्र में 8 कलाकारों को ये पुरस्‍कार दिए जा रहे हैं – भरतनाट्यम के लिए विजना रानी वासुदेवन और राजित बाबू (संयुक्त पुरस्कार); कथक के लिए दुर्गेश गंगानी; कथकली के लिए कलामंडलम वैसाख; मणिपुरी के लिए मंजू इलांगबम; ओडिसी के लिए मधुलिता महापात्रा; सतरिया के लिए अंजलि बोरबोरा बोरठाकुर; छऊ के लिए राकेश साई बाबू और समकालीन नृत्य के लिए विक्रम मोहन।

थियेटर के क्षेत्र में 7 पुरस्‍कार दिए जा रहे हैं- निर्देशन के लिए चवन प्रमोद आर; अभिनय के लिए नम्रता शर्मा; अभिनय के लिए सुनील पलवल; अभिनय के लिए प्रीति झा तिवारी; माइम के लिए कुलदीप पाटगिरी; सम्‍बद्ध थिएटर कलाओं के लिए सुभदीप गुहा, थिएटर संगीत के लिए कलामंडलम साजिथ विजयन; थिएटर की अन्य प्रमुख परंपराओं के लिए – कुटियाट्टम।

पारम्‍परिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्‍य/थियेटर और कठपुतली क्षेत्र में 8 पुरस्‍कार दिए जा रहे हैं- लोक संगीत-बिहार के लिए चंदन तिवारी, पंथी नृत्य-छत्तीसगढ़ के लिए दिनेश कुमार जांगड़े; पारंपरिक संगीत खोल- असम के लिए मनोज कुमार दास, कठपुतली-गुजरात के लिए चंदानी मानसिंग ज़ाला;  पारंपरिक और लोक संगीत-मणिपुर के लिए ए. एनेशोरी देवी, पारंपरिक और लोक संगीत- मणिपुर के लिए पी. राजकुमार, लोकनृत्‍य– तमिलनाडु के लिए मधुश्री हेतल, लोक संगीत (झुमर) – पश्चिम बंगाल के लिए अशोक कुमार, लोक संगीत-उत्तर प्रदेश के लिए एक पुरस्‍कार।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खाँ युवा पुरस्‍कार में 25,000 रुपए की नकद राशि दी जाती है। ये पुरस्‍कार संगीत नाटक अकादमी के अध्‍यक्ष द्वारा सितंबर 2019 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में प्रदान किए जाएँगे।

फिर विवादों में

संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार घोषित होने के साथ उससे जुड़े विवाद भी सामने आने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लोग खुलकर बोल रहे हैं कि इन पुरस्कारों में लॉबिंग साफ़ दिख रही है।

वाट्सएप्प पर राजेश चन्द्र की रंग चिंतन (सन्दर्भ अकादमी पुरस्कार) नाम से पोस्ट तेजी से अग्रेषित हो रही है। उसमें वे अकादमी पुरस्कारों की पोल खोलते हुए लिखते हैं- “अकादमी पुरस्कारों के लिए आवेदन देना पड़ता है। अपना ‘धांसू टाइप’ बायोडाटा बनवा कर, ज़ोरदार रिकमेन्डेशन जुटा कर अकादमी को भिजवाने से लेकर लॉबिंग का ठेका देना पड़ता है, काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। रात-दिन जुटे रहना पड़ता है। हालाँकि बाद में सब इस प्रक्रिया को नकारने का निरीह प्रयास करते हैं कि उनको ‘आउटस्टैंडिंग मेरिट’ के आधार पर पुरस्कार मिला है! सच है, अकादमी पुरस्कार ‘विशिष्ट मेरिट’ पर ही मिलता है, पर इस मेरिट का रंगमंच में योगदान से कभी-कभार ही संबंध हुआ करता है। अपवाद ज़रूरी होते हैं, हर फ़रेब और पाखंड के क़ारोबार में। अकादमी भी अपवादों का विशेष ध्यान रखती है।”

लोगों को ऐसा क्यों लग रहा है कि अकादमी पुरस्कारों में धाँधली हुई है तो युवा पुरस्कारों को देते हुए एक लोकप्रिय भरतनाट्यम कलाकार को समकालीन श्रेणी में और दूसरे भरतनाट्यम प्रोफेसर को कुचीपुड़ी श्रेणी में सम्मानित किया गया है। कुचीपुड़ी श्रेणी में किसी को यह सम्मान क्यों नहीं दिया गया इस पर भी सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो युवा कलाकार कुचीपुड़ी नृत्य विधा सीखने की इच्छा खो देंगे और कहीं यह भव्य नृत्य कला कहीं अतीत की गर्द में न खो जाएँ।

हर साल इन पुरस्कारों में इस तरह की जोड़तोड़ की गंध आती है। कला बिरादरी को उम्मीद है कि प्रह्लाद सिंह पटेल, संस्कृति और पर्यटन मंत्री इस मुद्दे पर ध्यान देंगे। वरना जैसा कि स्मिता होता को लगता है कि ‘राजनीति और गुटबंदी के चलते ये अवार्ड अपना महत्व खोते जा रहे हैं। साल दर साल यह लोगों की पसंद से दूर जा रहे हैं। बहुत कम योग्य उम्मीदवार सूची में दिखते हैं।’

अकादमी को जागकर इस बारे में सोचना होगा अन्यथा लोगों को यही लगेगा कि अकादमी के अधिकारियों और पूर्व पुरस्कार विजेताओं के ‘रिकमेन्ड’ या अग्रसारित करने पर ही यह पुरस्कार मिलते हैं और जिसकी वहाँ तक पहुँच नहीं होती वे इन पुरस्कारों से दूर रह जाते हैं।

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